दिल्ली में एक और हिंदू सम्मेलन ने मंदिर प्रबंधन और धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक सनातन बोर्ड की आवश्यकता का हवाला देते हुए इसकी मांग दोहराई।
भूमिका:
नवंबर 2024 में, दिल्ली में एक और महत्वपूर्ण हिंदू सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें देशभर के संत, धर्माचार्य, और हिंदू संगठनों के प्रमुख नेता शामिल हुए। इस सम्मेलन में हिंदू समाज से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई, विशेष रूप से मंदिरों के प्रबंधन और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे विषयों पर।
पिछले कुछ वर्षों में हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण, उनके प्रशासन में भ्रष्टाचार, और धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, सनातन बोर्ड की आवश्यकता को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस सम्मेलन में संतों और हिंदू नेताओं ने पुनः सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग उठाई ताकि मंदिरों की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके और हिंदू धर्म की रक्षा की जा सके।
सनातन बोर्ड की पुनः मांग क्यों उठी?
1. मंदिर प्रबंधन पर चिंता
हिंदू मंदिरों का प्रशासन अभी भी कई राज्यों में सरकार के अधीन है, जिससे मंदिरों की संपत्तियों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं। कई संतों का मानना है कि—
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हिंदू मंदिरों का प्रबंधन सरकारी दखल से मुक्त होना चाहिए।
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मंदिरों की आय का उपयोग केवल धार्मिक और सामाजिक कार्यों में किया जाना चाहिए।
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सनातन धर्म के अनुयायियों को मंदिर प्रशासन में अधिक अधिकार दिए जाएं।
2. जबरन धर्म परिवर्तन की समस्या
धर्मांतरण को लेकर सम्मेलन में गंभीर चिंता व्यक्त की गई। नेताओं ने कहा कि—
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धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
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जिन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहे हैं, वहां जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
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सनातन धर्म को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए।
3. हिंदू समाज को संगठित करने की आवश्यकता
सम्मेलन में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू समाज को एकजुट होकर अपनी धार्मिक विरासत की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं बल्कि जीवन का एक दर्शन है, जिसे संरक्षित और प्रचारित करने की जरूरत है।
सम्मेलन के प्रमुख निर्णय:
इस सम्मेलन में निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए—
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सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए देशव्यापी आंदोलन:
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सनातन बोर्ड की आवश्यकता को लेकर पूरे देश में जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
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इसके लिए आगामी महीनों में विभिन्न राज्यों में बैठकें आयोजित की जाएंगी।
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मंदिर प्रशासन के लिए अलग तंत्र की मांग:
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हिंदू मंदिरों का प्रशासन हिंदू समुदाय के धर्माचार्यों और संगठनों को सौंपे जाने की मांग दोहराई गई।
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मंदिरों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा गया।
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धर्मांतरण विरोधी कानूनों की सख्ती:
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केंद्र और राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया कि जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
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धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर जनजागरण और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
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आगे की योजना:
इस सम्मेलन के बाद, जनवरी 2025 में प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान एक विशाल धर्म संसद आयोजित करने की घोषणा की गई, जिसमें सनातन बोर्ड की स्थापना को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी। इस आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों से सहयोग लिया जाएगा।
सनातन बोर्ड केवल एक संगठन नहीं बल्कि एक आंदोलन बनने जा रहा है, जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म की रक्षा और उसकी गरिमा को बनाए रखना है।