महाकुंभ में सनातन बोर्ड की बैठक और निर्णय

महाकुंभ में सनातन बोर्ड की बैठक और निर्णय

प्रयागराज, [जनवरी 27/28, 2025] – महाकुंभ के दौरान आयोजित सनातन धर्म संसद में कथित तौर पर सनातन बोर्ड की स्थापना को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। विभिन्न धार्मिक नेताओं और संतों की उपस्थिति में, बोर्ड के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई और इसे सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई।

बैठक के मुख्य निर्णय और प्रस्ताव:

  • सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम, 2025 को मंजूरी: बैठक में “सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम, 2025” के मसौदे को स्वीकृति दी गई। इस अधिनियम का उद्देश्य हिंदू मंदिरों, उनकी संपत्तियों और न्यासों का प्रबंधन और नियंत्रण एक स्वतंत्र निकाय के माध्यम से करना है, जो सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होगा।
  • बोर्ड की संरचना पर सहमति: प्रस्तावित बोर्ड की संरचना पर भी चर्चा हुई, जिसमें चार शंकराचार्यों के संरक्षण में एक केंद्रीय बोर्ड बनाने का सुझाव दिया गया। इस बोर्ड में 11 सदस्य होने की संभावना है, जिनमें जगद्गुरु, प्रमुख सनातनी अखाड़ों के प्रमुख और अन्य प्रतिष्ठित धार्मिक व्यक्ति शामिल होंगे। एक सलाहकार बोर्ड का भी प्रस्ताव रखा गया, जिसमें न्यायपालिका, सेवानिवृत्त प्रशासन और पुलिस अधिकारियों, और “हिंदुत्व विचारधारा” वाले पत्रकारों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।
  • मुख्य मांगे दोहराई गईं: बैठक में सनातन बोर्ड की स्थापना के साथ-साथ कुछ प्रमुख मांगों को भी दोहराया गया, जिनमें शामिल हैं:
    • हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना।
    • वक्फ बोर्ड को समाप्त करना।
    • पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को निरस्त करना, ताकि काशी, मथुरा और संभल जैसे धार्मिक स्थलों को वापस प्राप्त किया जा सके।
  • आगे की कार्रवाई पर विचार: बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इस प्रस्ताव को आगे कैसे बढ़ाया जाए और सरकार के समक्ष इसे किस प्रकार प्रस्तुत किया जाए।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:

  • इस बैठक में सभी प्रमुख हिंदू धार्मिक संगठनों और अखाड़ों के प्रमुखों की उपस्थिति की पुष्टि नहीं हुई है। कुछ खबरों में यह भी कहा गया है कि प्रमुख अखाड़ों और शंकराचार्यों के प्रतिनिधियों ने इस धर्म संसद से दूरी बनाए रखी।
  • विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी कथित तौर पर हिंदू मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत बोर्ड के विचार पर असहमति जताई है।

इसलिए, महाकुंभ में सनातन बोर्ड की बैठक महत्वपूर्ण जरूर थी, लेकिन इसकी सर्वसम्मति और आगे की राह अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। बोर्ड का वास्तविक गठन और इसके अधिकार क्षेत्र को लेकर आने वाले समय में और भी चर्चा और सहमति की आवश्यकता होगी।

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