भूमिका:
भारत में सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए 2 जनवरी 2024 एक महत्वपूर्ण दिन साबित हुआ। इस दिन, सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए आधिकारिक प्रस्ताव भारत सरकार को सौंपने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी गई। लंबे समय से हिंदू संत, धर्माचार्य और विभिन्न संगठनों द्वारा इस बोर्ड की मांग की जा रही थी, ताकि हिंदू मंदिरों के प्रबंधन को स्वतंत्र किया जा सके और सनातन संस्कृति की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य हिंदू धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराना, मंदिरों की पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करना, और सनातन धर्म से जुड़े संस्थानों को संगठित करना है।
सनातन बोर्ड के लिए प्रस्ताव की मुख्य बातें
इस प्रस्ताव में निम्नलिखित बिंदु शामिल किए गए हैं—
1. हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग
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भारत सरकार को उन सभी हिंदू मंदिरों को उनके मूल ट्रस्टों और धार्मिक संस्थाओं को वापस सौंपने के लिए कानून बनाना चाहिए जो वर्तमान में सरकारी नियंत्रण में हैं।
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सरकार मंदिरों की आय का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए न करे, बल्कि यह धन केवल धार्मिक और सामाजिक कार्यों में ही लगाया जाए।
2. सनातन बोर्ड की स्थापना
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यह बोर्ड हिंदू मंदिरों, गुरुकुलों, और धर्मशालाओं के सुचारु संचालन और प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा।
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सनातन धर्म से जुड़े विद्वान, संत और धर्माचार्य इस बोर्ड का हिस्सा होंगे, जो मंदिरों के सही प्रशासन को सुनिश्चित करेंगे।
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यह बोर्ड उन मंदिरों को वित्तीय और कानूनी सहायता प्रदान करेगा, जिन्हें अतिक्रमण और सरकारी हस्तक्षेप से नुकसान पहुंचा है।
3. धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानूनों की मांग
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जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाया जाए।
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जो लोग लालच देकर, धोखे से या दबाव डालकर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराते हैं, उनके खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान हो।
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विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
4. गुरुकुल और हिंदू शिक्षा संस्थानों को बढ़ावा देना
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पारंपरिक वेद, शास्त्र और हिंदू संस्कृति की शिक्षा देने वाले गुरुकुलों को सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।
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हिंदू धर्म की मूल शिक्षाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में उचित स्थान दिया जाए।
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भारतीय संस्कृति, योग, और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए विशेष संस्थानों की स्थापना की जाए।
सरकार को प्रस्ताव सौंपने की प्रक्रिया
सनातन बोर्ड के लिए यह प्रस्ताव विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा तैयार किया गया। इस प्रस्ताव को भारत सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, और संस्कृति मंत्रालय को सौंपा जाएगा।
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प्रस्ताव की प्रतियां सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी भेजी जाएंगी ताकि इसे राज्य स्तर पर समर्थन मिल सके।
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जनवरी 2025 के प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान एक विशाल धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, जहां इस प्रस्ताव पर देशभर के संत और हिंदू संगठनों की राय ली जाएगी।
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देशभर में जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक हिंदू समाज इस आंदोलन से जुड़े।
आगे की रणनीति
सनातन बोर्ड की स्थापना केवल एक कानूनी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म और उसकी संस्कृति की रक्षा का एक बड़ा अभियान है।
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अगले कुछ महीनों में, धार्मिक संगठनों, मंदिर प्रशासन और हिंदू समुदाय के प्रतिनिधियों की बैठकें आयोजित की जाएंगी।
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सरकार के साथ विचार-विमर्श जारी रहेगा, और यदि आवश्यक हुआ, तो संसद में इसे पारित करवाने के लिए विधेयक लाने की मांग की जाएगी।
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सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक संगठित प्रयास किया जाएगा, जिसमें देशभर के हिंदू इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
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