भूमिका:
अप्रैल 2024 में, सनातन बोर्ड की स्थापना को औपचारिक रूप देने के लिए एक मसौदा संविधान (Draft Constitution) जारी किया गया। यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह हिंदू मंदिरों, धार्मिक संस्थानों, और सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक संगठित और पारदर्शी प्रशासनिक ढांचे की नींव रखता है।
इस मसौदे को देशभर के धर्माचार्यों, संतों, विद्वानों और हिंदू संगठनों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य सनातन बोर्ड की संरचना, कार्यक्षेत्र, अधिकार, और संचालन प्रक्रिया को स्पष्ट करना है।
मसौदा संविधान की प्रमुख विशेषताएँ
इस मसौदा संविधान में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है—
1. सनातन बोर्ड का उद्देश्य और कार्यक्षेत्र
-
हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों का संरक्षण और प्रबंधन।
-
सनातन धर्म की शिक्षा, संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना।
-
धर्मांतरण विरोधी प्रयासों को मजबूत करना और हिंदू समाज को जागरूक करना।
-
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली और वेदों, शास्त्रों की पढ़ाई को पुनर्जीवित करना।
-
जरूरतमंद हिंदू धार्मिक संस्थानों को वित्तीय और कानूनी सहायता प्रदान करना।
2. बोर्ड की संरचना और संगठनात्मक ढांचा
-
राष्ट्रीय स्तर पर एक केंद्रीय समिति होगी, जिसमें प्रमुख धर्माचार्य, संत और विद्वान शामिल होंगे।
-
प्रत्येक राज्य में राज्य स्तरीय बोर्ड होगा, जो स्थानीय मंदिरों और धार्मिक संगठनों के प्रशासन की देखरेख करेगा।
-
बोर्ड में धार्मिक विशेषज्ञों के अलावा विधि (कानूनी), वित्त, और प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा।
-
संपूर्ण बोर्ड की संरचना लोकतांत्रिक और पारदर्शी होगी, ताकि किसी भी प्रकार का पक्षपात न हो।
3. मंदिरों के प्रशासन के लिए नियमावली
-
हिंदू मंदिरों का नियंत्रण सरकार से हटाकर सनातन बोर्ड को सौंपने की मांग।
-
मंदिरों की आय और दान का पारदर्शी प्रबंधन, ताकि यह धन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और हिंदू समाज के कल्याण में लगाया जा सके।
-
भ्रष्टाचार और अयोग्यता को रोकने के लिए ऑडिट प्रणाली का प्रावधान।
-
हर मंदिर में धार्मिक कर्मकांड और परंपराओं का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना।
4. धर्मांतरण विरोधी उपाय और कानूनों का समर्थन
-
जबरन और प्रलोभन के माध्यम से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानूनों की सिफारिश।
-
हिंदू समाज को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षा अभियान और धर्म सभाओं का आयोजन।
-
धर्मांतरण से प्रभावित परिवारों और व्यक्तियों को कानूनी और आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव।
5. गुरुकुल और सनातन शिक्षा को पुनर्जीवित करने का संकल्प
-
पूरे देश में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित करना और वेद, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत, और योग आदि की शिक्षा को बढ़ावा देना।
-
हिंदू धर्मशास्त्रों को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़कर नई पीढ़ी के लिए उपयुक्त शिक्षा प्रणाली विकसित करना।
-
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष संस्थानों की स्थापना।
6. वित्तीय स्वायत्तता और पारदर्शिता
-
सनातन बोर्ड एक स्वतंत्र वित्तीय निकाय होगा, जो दान और अन्य स्रोतों से आने वाले फंड का पारदर्शी रूप से उपयोग करेगा।
-
मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के आर्थिक संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक नियामक निकाय का गठन किया जाएगा।
मसौदा जारी करने के बाद अगली प्रक्रिया
इस मसौदा संविधान के जारी होने के बाद, इसे विभिन्न हिंदू संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, और आम जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक चर्चा में रखा जाएगा।
अगले कदम:
-
धर्म संसद (Religious Parliament) का आयोजन:
-
जुलाई 2025 में वाराणसी में एक धर्म संसद आयोजित की जाएगी, जिसमें संतों, धर्माचार्यों और प्रमुख हिंदू संगठनों की राय ली जाएगी।
-
मसौदा संविधान में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे और अंतिम रूप से अनुमोदित किया जाएगा।
-
-
सरकार से आधिकारिक मान्यता की मांग:
-
प्रस्तावित संविधान के अंतिम अनुमोदन के बाद, इसे भारत सरकार को मान्यता प्राप्त बोर्ड के रूप में स्थापित करने के लिए सौंपा जाएगा।
-
हिंदू मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए संवैधानिक और कानूनी उपायों की मांग की जाएगी।
-
-
जनजागरण और समर्थन अभियान:
-
सनातन बोर्ड की आवश्यकता को लेकर देशभर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
-
सामाजिक संगठनों, मंदिर समितियों, और आम हिंदुओं को इस आंदोलन में जोड़ने के लिए सोशल मीडिया, सेमिनार और रैलियों का आयोजन।
-
Leave a Reply